दिल्ली ऊंचा सुनती है

 " आलोक गौड़ "


पब्लिक स्कूलों के मुद्दे पर झूठा कौन!
झूठ बोले कौआ काटे, उससे डरियो ,


नई दिल्ली- कभी यह फिल्मी गाना बहुत प्रचलित हुआ था। हालांकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि इस गाने को सुन कर और नायिका की फ़रियाद देखकर कितने लोगों ने झूठ बोलना छोड़ दिया था। वैसे तो इस गाने से भी पहले हमारे पूर्वजों ने भी झूठ बोलने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया था। यह बात दीगर है कि राजनेताओं पर न तो पूर्वजों की नसीहत और न ही इस गाने का कोई असर हुआ। उन्होंने तो इसे चुनाव जीतने व उसके बाद भी जनता को मूर्ख बनाने के मूल मंत्र के रूप में अपना लिया।
जब देश की सत्ता के शिखर पर बैठे हुए महामानव, अजन्मे व अविनाशी ने ही झूठ बोलने के मामले में गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड को अपनी बुक में पन्ने जोड़ने पर मजबूर कर दिया तो उनकी पार्टी के नेता भला कैसे पीछे रह सकते हैं।
दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार न केवल अपने आदर्श और देश के सर्वेसर्वा के नक्शे कदम पर चल रही है बल्कि झूठ बोलने व प्रचार हासिल करने के मामले में उनसे भी दो कदम आगे निकल जाने का प्रयास कर रही है।
वैसे तो अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों की ओर से बोले गए झूठ की फेहरिस्त काफी लंबी है। लेकिन आज यहां हम सिर्फ पब्लिक स्कूलों की मनमानी और उन पर अंकुश लगाने के बारे में दिल्ली सरकार के दावों ही बात करेंगे।
दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दावा किया है कि दिल्ली पब्लिक स्कूल की ओर से मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने और छात्रों को प्रताड़ित करने की शिकायत मिलने के बाद जिलाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। उसने न केवल इस मामले में अदालत के सामने अपना पक्ष मजबूती से पेश कर छात्रों को न्याय दिलवाया बल्कि एक हफ़्ते के भीतर 600 से भी अधिक निजी स्कूलों के खातों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने तो 1670 स्कूलों के खातों की जांच कराने का ऐलान कर दिया है।
दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री एवं आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने आशीष सूद की ओर से पब्लिक स्कूलों के खातों की जांच करने और उनकी रिपोर्ट मिल जाने के बारे में किए गए दावों को झूठ का पुलिंदा बताया है। उनके मुताबिक इतने कम समय में इतने स्कूलों के खातों की जांच करवा पाना संभव ही नहीं।
सौरभ भारद्वाज का यह भी कहना कि उन्हें मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार ने अभी तक पब्लिक स्कूलों के खातों की जांच करने वालों की नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू नहीं की है। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा मंत्री को जिन पब्लिक स्कूलों के खातों की जांच की गई है, उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की भी चुनौती दी है।
देश के जाने माने कर सलाहकार एम के गांधी के मुताबिक एक हफ़्ते के भीतर 600 पब्लिक स्कूलों के खातों की जांच कर पाना लगभग असंभव है। उनके मुताबिक इतने काम समय में इतनी बड़ी संख्या में खातों की जांच कराने के हजारों अधिकारियों। की जरूरत होती है।
आशीष सूद के इस बयान और इसको लेकर पैदा हुए विवाद को देखते हुए उन्होंने कुछ पब्लिक स्कूल वालों को अपने बचाव में मैदान में उतार दिया है। यह स्कूल वाले कह रहे हैं कि पब्लिक स्कूल के खातों की जांच का काम दो महीने से चल रहा है। सवाल यह पैदा होता है कि हर छोटी से छोटी बात को लेकर बयान जारी करने वाली रेखा सरकार और खासकर कर शिक्षा मंत्री ने इसकी घोषणा क्यों नहीं की थी