रेखा जी इसे जख्मों को कुरेद कर हरा करना कहत हैं

" आलोक गौड़ "


नई दिल्ली। यह सियासत भी कमाल करती है, छीन कर आंखें चस्में दान करती है। हाल ही में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सरकार की ओर से आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में 1984 में दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के 129 आश्रितों के नियुक्ति पत्र दिए गए। इस मौके पर उनकी मंत्रिरिषद के फायारब्रांड सदस्य मनजिंदर सिंह सिरसा भी मौजूद थे। जिन्होंने अपने चिर - परिचित अंदाज में कांग्रेस को 84 के दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए दोषियों को सजा दिलाने का ऐलान भी किया।
गौरतलब है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही दो सुरक्षाकर्मियों ने निर्मम हत्या कर थी। जिसके बाद अक्टूबर 1984 में देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क गए । इन दंगों से दिल्ली भी अछूती नहीं रही थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के दंगों में लगभग 2500 सिखों की हत्या हुई थी। उनमें से 129 परिवारों की शिनाख्त करना , उन्हें नियुक्ति पत्र देना और उस कार्यक्रम को अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित करना रेखा सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगता है।
यदि हम देर आए , दुरस्त आए  पर यकीन करते हुए एक पल को यह मान भी लें कि सरकार ने यह कदम पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए उठाया है। तो फिर इसका इतने बड़े पैमाने पर राजनीतीकरण करने की जरूरत क्या थी।
दंगों के 41 साल बाद उनकी याद दिलाना जख्मों को कुरेद कर उन्हें हरा करने जैसा है। यह सही है कि किसी प्रकार के दंगे और किसी भी संप्रदाय के प्रति हिंसा को जायज नहीं ठहराया जा सकता है। ठीक उसी तरह से राजनीतिक लाभ के लिए धर्म व संप्रदाय के लोगों को बांटने की कोशिश भी ठीक नहीं हैं।
हालांकि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनके मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा का राजनीतिक आधार ही साम्प्रदायिकता पर टिका है। जिस पार्टी का शिखर पुरुष हर आपदा में अवसर तलाश लेता है। जनता के सवालों के जवाब देने के बजाय अपने मन की बात कहना ज्यादा जरूरी समझता है। जिसे पीड़ितों के आंसू पोंछने से ज्यादा चुनावी रैलियों को संबोधित करने व लाशों पर ठहाके लगाने में सुख का अनुभव होता है। उसी पार्टी की एक अदना सी मुख्यमंत्री से यह अपेक्षा करना बेमानी होगा कि वह पार्टी की ओर से खींची गई सांप्रदियक्ता की रेखा को पार करने का हौसला दिखा पाएगी। बावजूद इसके इतनी उम्मीद तो की जा सकती है कि जिस संविधान के नाम पर उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी , वह उसकी गरिमा कायम रखेंगी।