अमरनाथ यात्रा (पहलगाम रूट) – फेस रिक्गनिशन सिस्टम की विस्तृत जानकारी

नई दिल्ली । 10 जून 25 । जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अमरनाथ यात्रा के पहलगाम रूट पर फेस रिक्गनिशन सिस्टम (FRS) लगाया है।यह सिस्टम ब्लैक लिस्टेड लोगों और घाटी में एक्टिव आतंकियों के कैमरे में आते ही सुरक्षा बलों को अलर्ट करेगा, ताकि तीर्थयात्रियों पर किसी भी तरह के आतंकवादी हमले को रोका जा सके।
इसके लिए आतंकियों और संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्कर्स की तस्वीरें इस सिस्टम में अपलोड की गई हैं।बालटाल रूट पर भी यह सिस्टम लगाए जा रहे हैं। FRS डिजिटल तस्वीरों या वीडियो से चेहरे एनालिसिस करके, डेटाबेस से मिलाकर व्यक्ति की पहचान करता है।
यह फैसला 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद आया है। बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे। 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलने वाली यात्रा पहली बार 38 दिन की हो रही है।
9 अगस्त को छड़ी मुबारक के साथ रक्षाबंधन के दिन पूरी होगी। इस साल यात्रा की अवधि पिछले साल के 52 दिनों के मुकाबले घटाकर 38 दिन कर दी गई है।
सिस्टम कैसे काम करता है?
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FRS कैमरे के फ्रेम में आने वाले किसी भी संदिग्ध शख़्स को रियल‑टाइम पहचान लेता है।
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जैसे ही कोई ऐसा व्यक्ति सिस्टम द्वारा रिकॉर्ड की गई तस्वीरों से मेल खाता है, संगोषित सेंटर पर हूटर बजता है, जिससे सुरक्षा बल तुरंत सक्रिय हो सकते हैं।
- केवल पहलगाम रूट तक ही सीमित नहीं—इस तकनीक को बालटाल रूट पर भी लागू किया जा रहा है, यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई 2025 से पहले।
निष्कर्ष:
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फ़ेस रिकग्निशन सिस्टम एक महत्वपूर्ण तकनीकी पहल है, किसी भी संदिग्ध व्यक्ति पर नज़र रखकर तत्काल सशस्त्र प्रतिक्रिया की अनुमति देती है।
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यह कदम यात्रियों की सुरक्षा संतुलित करने और हालिया हमलों को देखते हुए अचूक सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास का हिस्सा है।
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बालटाल रूट पर इसी तरह का सिस्टम लागू किया जा रहा है, ताकि दोनों मुख्य मार्गों पर एकसमान सुरक्षा स्तर बना रहे।
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