केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने ई-विधान परियोजना की आधारशिला रखी, काग़ज़ रहित और पारदर्शी विधानसभा की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम

- “दिल्ली विधानसभा को 100% अक्षय ऊर्जा से संचालित करने की दिशा में अग्रसर करते हुए, ई-विधान पहल डिजिटल लोकतंत्र और पर्यावरण-संवेदनशील विधायी के नए मानक स्थापित कर रही है।” – श्री विजेंद्र गुप्ता
- दिल्ली विधानसभा को एक हरित, तकनीकी-सक्षम और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध परिसर में बदलने की योजना पर काम शुरू
नई दिल्ली, 14 जून, 2025 - माननीय केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने आज दिल्ली विधानसभा के माननीय अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता की मौजूदगी में दिल्ली विधानसभा में ई-विधान (पेपरलेस विधानसभा) परियोजना की आधारशिला रखी। यह कार्यक्रम विधायी शासन के डिजिटलीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि का प्रतीक है।
इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।दिल्ली विधान सभा के उपाध्यक्ष श्री मोहन सिंह बिष्ट,दिल्ली सरकार के उद्योग, खाद्य एवं आपूर्ति तथा पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव मंत्री श्री मंजींदर सिंह सिरसा और मुख्य सचेतक श्री अभय वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कहा, “दिल्ली विधानसभा में ई-विधान परियोजना की आधारशिला रखना तकनीकी दक्षता और पारदर्शिता को अपनाने की दिशा में एक सराहनीय पहल है। देश के कई राज्यों ने पहले ही इस प्रणाली को सफलतापूर्वक अपनाया है और अब दिल्ली का इस राष्ट्रीय पहल से जुड़ना उत्साहवर्धक है।” उन्होंने कहा कि यह परियोजना केवल काग़ज़ रहित व्यवस्था की बात नहीं करती, बल्कि विधायी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, जन भागीदारी, दक्षता और डिजिटल सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है।
श्री रिजिजू ने आगे कहा कि देश के कई राज्यों में ई-विधान प्रणाली पहले ही सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है और अब दिल्ली भी इस दिशा में गंभीर कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की विशेष प्रशासनिक संरचना को देखते हुए यह डिजिटल परिवर्तन विशेष महत्व रखता है। यह परियोजना केवल कागज़ रहित प्रक्रिया नहीं, बल्कि पारदर्शिता, जन भागीदारी, दक्षता और डिजिटल सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक ठोस प्रयास है।
श्री गुप्ता ने आगे कहा कि दिल्ली विधानसभा को संसदीय कार्य मंत्रालय (MoPA) से 9 करोड़ रुपये से अधिक की अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी, जिसकी पहली किस्त के रूप में 1 करोड़ रुपये से अधिक की राशि पहले ही प्राप्त हो चुकी है।
इस अवसर पर दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने इसे विधानसभा की कार्यप्रणाली को अधिक दक्ष, पारदर्शी और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बताया। उन्होंने बताया कि यह परियोजना राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (NeVA) के अंतर्गत क्रियान्वित की जा रही है, जिससे विधानसभा की कार्यवाही डिजिटली संचालित होगी और विधायकों को कार्य से जुड़ी सूचनाएं रियल टाइम में डिजिटल रूप में उपलब्ध होंगी।
माननीय अध्यक्ष ने जानकारी दी कि 22 मार्च 2025 को संसद कार्य मंत्रालय, जीएनसीटीडी और दिल्ली विधानसभा सचिवालय के बीच त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि दिल्ली विधानसभा देश की पहली ऐसी विधानसभा बनने की दिशा में अग्रसर है जो पूर्णतः नवीकरणीय ऊर्जा पर संचालित होगी। इसके लिए 500 किलोवॉट की सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की जा रही है। साथ ही, पारंपरिक पुस्तकालय को एक आधुनिक ई-लाइब्रेरी में परिवर्तित करने और मानसून सत्र से पूर्व विधान सभा के सदन का नवीनीकरण का कार्य भी तीव्र गति से चल रहा है।
श्री गुप्ता ने यह भी बताया कि ऐतिहासिक दिल्ली विधानसभा परिसर—जहां कभी भारत की प्रथम संसद बैठी थी—को एक विरासत व सांस्कृतिक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है। इसके तहत एक विधान संग्रहालय, इंटरैक्टिव प्रदर्शनियों और दर्शकों के लिए गाइडेड टूर की व्यवस्था की जाएगी, जिसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) एवं राष्ट्रीय अभिलेखागार जैसे संस्थानों का सहयोग प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि ई-विधान परियोजना न केवल विधायी कार्यों को आधुनिक और पारदर्शी बनाएगी, बल्कि यह पर्यावरणीय जिम्मेदारी के क्षेत्र में भी एक सशक्त पहल है। उन्होंने कहा कि पेपरलेस प्रणाली की ओर यह परिवर्तन न केवल विधान प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाएगा, बल्कि राजधानी में डिजिटल गवर्नेंस का एक नया मानक भी स्थापित करेगा।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष श्री मोहन सिंह बिष्ट ने कहा, “यह परियोजना दिल्ली विधानसभा को एक तकनीकी रूप से सशक्त और पारदर्शी संस्थान में परिवर्तित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।”
ई-विधान परियोजना का उद्देश्य दिल्ली विधानसभा को पूरी तरह से पेपरलेस एवं डिजिटल रूप से एकीकृत बनाना है। इसके अंतर्गत विधायी दस्तावेजों की ई-प्रलेखन, विधेयकों एवं रिपोर्टों की ऑनलाइन उपलब्धता, प्रश्नोत्तरी की डिजिटल प्रक्रिया और कार्यवाही की रियल टाइम जानकारी की व्यवस्था की जाएगी।