छी:यह कैसी राजनीति है

" आलोक गौड़ "

नई दिल्ली। मंदिर - मस्जिद बंद कराकर, लटका विद्यालय पर ताला, सरकारों को खूब भा रही धन बरसाती मधुशाला।

अभी तक दिल्ली के निजी (पब्लिक) स्कूलों की मनमानी और उनकी ओर से बच्चों को प्रताड़ित करने के मामले की आंच मंद भी नहीं हुई है कि एक ऐसा मामला सामने आ गया है, जिसे लेकर रेखा सरकार मुसीबत में घिर सकती है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपने नागरिकों को स्वास्थ्य व शिक्षा मुहैया कराना किसी भी कल्याणकारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं की सूची में पहले स्थान पर आते हैं। यदि कोई सरकार इन दोनों की ओर से मुंह मोड़ती है तो इससे साफ जाहिर होता है कि वह अपने कर्तव्य का निर्वाह करने में न केवल असफल रही है बल्कि उन  मतदाताओं के प्रति भी अन्याय कर रही है जिन्होंने उसकी पार्टी के किए गए वादों पर एतबार करते हुए चुनाव में उसका समर्थन किया था।
दिल्ली के पूर्व शिक्षा एवं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि रेखा गुप्ता की सरकार ने सुंदर नगरी, किराड़ी और रोहिणी में करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गए सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक सत्र शुरू करने के बजाय उन पर ताले लटका दिए हैं।
मनीष सिसोदिया के मुताबिक इन स्कूलों का निर्माण आम आदमी पार्टी की सरकार के कार्यकाल के दौरान कराया गया था। इनमें स्मार्ट क्लास, आधुनिक प्रयोगशाला, पुस्तकालय व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई गईं हैं। इनका निर्माण कार्य पूरा हो गया है। इनमें इसी साल से पढ़ाई शुरू होनी थी। लेकिन दिल्ली विधानसभा के चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू हो जाने की वजह से तत्कालीन सरकार इन्हें शुरू नहीं कर पाई।
मनीष सिसोदिया ने रेखा गुप्ता सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वह इनके निर्माण का श्रेय पिछली सरकार को नहीं देना चाहती तो कोई बात नहीं। मगर उसे छात्रों के हित के मद्देनजर इन्हें शीघ्र ही शुरू कर देना चाहिए। 
पूर्व उपमुख्यमंत्री के मुताबिक ऐसा लगता है कि रेखा गुप्ता सरकार लोगों को शिक्षा माफिया के सामने घुटने टेकने के लिए मजबूर करना चाहती है।
उनका यह भी कहना है कि भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच चुनावी जंग नहीं बल्कि हजारों बच्चों के भविष्य से जुड़ा प्रश्न है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह शिक्षा के अधिकार और शिक्षा माफिया के बीच की लड़ाई है। वह और उनकी पार्टी छात्रों को उनको शिक्षा पाने का अधिकार दिलाने के लिए किसी भी हद तक जाकर संघर्ष करेगी।
हर छोटी बड़ी बात और मुद्दे पर बयानबाजी करने वाली रेखा गुप्ता सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद की ओर से मनीष सिसोदिया के आरोपों पर चुप्पी साध लेने से तो ऐसा ही लगता है कि इनमें थोड़ी बहुत तो सच्चाई होगी। वरना रेखा सरकार इतने गंभीर आरोप पर चुप्पी साधने का रुख अख्तियार नहीं करती।
मनीष सिसोदिया के आरोपों को दरकिनार करते हुए हम यदि सिर्फ शिक्षा के मामले में सरकारी स्कूलों के योगदान की बात करें तो यह महज लगभग 23 फीसदी से भी कम है।
ऐसे में यदि सरकार ही अपने स्कूलों पर ताले जड़ देगी तो उस स्थिति का अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है कि एक आम आदमी को अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए कितनी कथनियों का समाना करना पड़ता है।