रेखा सरकार को बदनाम करने की साजिश
" आलोक गौड़ "
नई दिल्ली। लोगों को बरसों लग जाते हैं एशियन बनाने में, तुम एक पल नहीं लगाते मकान गिराने में। ऐसा लगता है कि यह शेर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के भ्रष्ट अधिकारियों को जेहन में रख कर ही लिखा गया है।
दिल्ली में जब से रेखा गुप्ता के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है, उसके एकदम बाद से ही डीडीए ने धार्मिक स्थल सहित अनधिकृत कालोनियों में तोडफ़ोड़ अभियान छेड़ दिया है। ऐसा लगता है कि डीडीए ने रेखा गुप्ता सरकार को बदनाम करने की साजिश रची है।
यह बात सही है कि डीडीए दिल्ली सरकार के अधीन नहीं बल्कि उस पर केंद्र सरकार के शहरी मंत्रालय का नियंत्रण हैं। लेकिन जनता को तो डीडीए की ओर से की जाने वाली किसी भी कार्रवाई को लेकर ऐसा ही लगता है इस सबके पीछे दिल्ली सरकार ही जिम्मेदार है।
हाल ही जंगपुरा इलाके की मद्रासी कैंप की बस्ती और वजीरपुर में रेलवे लाइन के पास बनी झुग्गियों को अदालत के आदेश पर तोड़े जाने के मामले में ऐसा ही हुआ था। झुग्गियां तोड़े जाने के पीछे रेखा सरकार का कोई हाथ न होने के बावजूद लोग न केवल रेखा गुप्ता से खफा हो गए बल्कि आम आदमी पार्टी व कांग्रेस दोनों ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया।
अब असल मुद्दे पर वापिस आते हैं। दिल्ली में सरकार बदलने के बाद से डीडीए ने अनधिकृत कालोनी में मकान तोड़ने व अन्य स्थान पर अवैध निर्माण ढहने की जिस प्रकार से कार्रवाई शुरू कि उसे देखकर तो ऐसा ही लगता है कि डीडीए के अधिकारी केवल सरकार बदलने का इंतजार कर रहे थे।
मर्ज बढ़ता गया ज्यों - ज्यों दवा की। यह बात डीडीए के अधिकारियों में बढ़ते भ्रष्टाचार और दिल्ली में बढ़ती अनधिकृत कालोनियों की संख्या पर पूरी तरह से लागू होती है।
दिल्ली में इस समय अनधिकृत कालोनियों की संख्या लगभग 18 सौ के पास बताई जा रही है। इनमें से राजनेताओं के संरक्षण में सरकारी जमीन पर बनी और बड़ी 600 कालोनियां और रिज के हरित क्षेत्र में बसी 150 कालोनियां भी शामिल हैं।
डीडीए ने जिन कालोनियों में तोडफ़ोड़ करने के नोटिस चस्पां कर हड़कंप मचाया है। वो सभी एक दशक पहले बसी थीं। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी करके जनवरी 2026 तक किसी भी अनधिकृत कालोनी में तोडफ़ोड़ करने पर रोक लगा रखी है। ऐसी स्थित में भी डीडीए अधिकारियों की ओर से की जा रही कार्रवाई उनकी मंशा पर सवालिया निशान लगाने के साथ ही यह भी साबित करती है कि उन्हें किसी की भी डर नहीं है।
वैसे भी दिल्ली के अनियोजित विकास और अनधिकृत कालोनियों के बनने व बसने के लिए डीडीए ही पूर्ण रुप से जिम्मेदार है। एक ओर तो उसने किसानों की कृषि योग्य जमीन ओने पौने दामों पर अधिग्रहित कर ली। दूसरी ओर उस जमीन की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की। इतनी ही नहीं डीडीए के अधिकारियों ने भूमाफिया और राजनेताओं के नापाक गठबंधन को संरक्षण देने का काम भी किया है। जिसकी परिणीति दिल्ली में बसी 1800 अनधिकृत कालोनियों के रूप में हमारे सामने है।