सिर्फ नाम बदलने से कुछ नहीं होगा
" आलोक गौड़ "
" कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर,
ना अपनी काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।"
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी कल तक जिन मोहल्ला क्लीनिक को भ्रष्टाचार का अड्डा बता रही थी, आज उसी की दिल्ली सरकार ने उन्हीं 33 मोहल्ला क्लीनिक का बड़े जोर शोर के साथ उद्घाटन किया।
दिल्ली सरकार ने इन मोहल्ला क्लीनिक का नाम आरोग्य मंदिर रख दिया है। वैसे देखा जाए तो मोहल्ला क्लीनिक का नाम बदल कर रेखा गुप्ता सरकार ने कुछ भी गलत नहीं किया है। उन्होंने तो अपनी पार्टी की नाम बदलने वाली परिपाटी का पालन किया हैं। काश कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता मोहल्ला क्लीनिक का नाम परिवर्तित करने से ज्यादा उनकी हालत सुधारने और उनमें में व्यापत खामियों को दूर करने की दिशा में कदम उठातीं तो बेहतर होता। वैसे भी मोहल्ला क्लीनिक को आरोग्य मंदिर का नाम देने के लिए किए गए तामझाम पर जो पैसा खर्च किया गया उसका उपयोग इन क्लीनिक में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए किया जा सकता था।
खैर जिस सरकार को खुद अपना गुणगान करना और खुदकी पीठ थपथपाने में आनंद आता है। उससे ज्यादा उम्मीदें रखना खुद को ही धोखा देने जैसा होगा।
एक ओर तो दिल्ली सरकार मोहल्ला क्लीनिक का साज श्रृंगार और उनका उद्घाटन करने के नाम पर पानी की तरह पैसा बाह रही तो दूसरी तरफ 500 मोहल्ला क्लीनिक में काम करने वाले डॉक्टरों सहित 2000 हजार कर्मचारियों को पिछले दो महीने से वेतन तक नहीं मिला है। इतना ही इनके सिर पर नौकरी छीन जाने की तलवार भी लटक रही है। इन सबकी नियुक्ति आम आदमी पार्टी की सरकार ने अनुबंध के आधार पर की थी । केंद्र सरकार के सरकारी खर्चों में कमी करने के निर्देश व अन्य कारणों की वजह से इन्हें स्थायी नहीं किया जा सका था। भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी और तत्कालीन मुख्यमंत्री पर अपने कार्यकर्ताओं को उपकृत करने के लिए अनुबंध के आधार पर भर्ती करने का आरोप लगाया था।
अब रेखा सरकार भी उन्हीं नक्शे कदम पर चलते हुए पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान मोहल्ला क्लीनिक में हुई नियोक्ताओं को निरस्त कर अपने लोगों को बिताएंगी। लेकिन इससे दिल्ली का क्या और कितना भला होगा यह समय ही बताएगा।