रेखा सरकार भी केजरीवाल के नक्शे कदम पर चल रही है
" आलोक गौड़ "
नई दिल्ली। जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा , आ के बैठो हो पहली सफ़ में , अभी से उड़ने लगे हवा मेंकिस लिए , अभी तो शोहरत नई नई है। ज्यादा दी नहीं हुए हैं, जब भारतीय जनता पार्टी के छोटे बड़े तमाम नेता आम आदमी पार्टी की सरकार और उसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को पानी पी पी कर इस बात के लिए कोस रहे थे कि उसने दिल्ली के विकास का पैसा प्रचार करने में उड़ा दिया है। यह बात काफी हद तक सही भी है कि केजरीवाल सरकार ने एक साल में अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने के लिए 488.97 करोड़ रुपए प्रचार करने के कार्य पर खर्च कर दिए थे। जबकि इस राशि से बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के काम किए जा सकते थे। अदालत ने भी प्रचार करने के लिए तीन साल के भीतर लगभग 11 सौ करोड़ रुपए खर्च करने पर अपनी नाराजगी जताने के साथ केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई थी।
दिल्ली में केजरीवाल के बाद सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी की रेखा गुप्ता सरकार भी प्रचार के मामले में न केवल पिछली सरकार के नक्शे कदम पर चलती नजर आ रही है बल्कि उससे आगे भी निकल सकती है। किसी भी सरकार को अपनी वर्षगांठ मनाने और अपने कार्यकाल की उपलब्धियां बताने व उनका प्रचार- प्रसार करने का पूरा हक है। इसमें किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन जब कोई सरकार अपने शासनकाल के सौ दिन पूरे होने पर अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देने, बुकलेट छपवाने और जवाहर लाल नेहरू जैसे बड़े स्टेडियम में भव्य कार्यक्रम आयोजित करने पर करोड़ों रुपए खर्च कर दे , वह भी जब उपलब्धि के नाम पर उसकी झोली खाली हो। तब उसकी कार्यशैली और प्रचार पाने की भूख के बारे में सवाल उठना लाजिमी है। वैसे भी कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। जिस प्रकार से रेखा गुप्ता सरकार ने सौ दिन का कार्यकाल पूरा होने पर प्रचार पाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए उससे तो ऐसे संकेत ही मिलते हैं कि प्रचार पर पैसे खर्च करने के मामले में केजरीवाल सरकार को पीछे छोड़ देंगी।
हालांकि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के समर्थक और भारतीय जनता पार्टी के नेता कह सकते हैं कि वह अभी प्रशिक्षु व उत्साही हैं। इसीलिए ऐसा हो गया होगा। चलो इस तरह की दलीलों को मान भी लें। तब भी यह सवाल तो उठता है कि मुख्यमंत्री को जनता के पैसे का सदुपयोग करने का ज्ञान कौन देगा।
अब जरा एक नजर रेखा गुप्ता के सौ दिन के कामकाज और उनकी उपलब्धियों पर भी डाल लेते हैं। इस दौरान उन्होंने 20 महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की है। जिसमें से दो को ही लागू किया जा सका है। इनमें से एक केंद्र सरकार की मदद से चलने वाली आयुष्मान योजना है। हालांकि इस योजना के तहत भी अभी तक 70 साल से ज्यादा उम्र के नागरिकों को कार्ड जारी किए गए हैं। इतना ही नहीं निजी अस्पताल वाले इस कार्ड को मान्यता नहीं देते हैं। वे आज भी उन्हीं मरीजों का इलाज करने को प्राथमिकता देते हैं जिनके पास हेल्थ बीमा की पॉलिसी हो। दूसरी उपलब्धि पूर्ववर्ती सरकार के समय में शुरू की गई योजना की है।
रेखा गुप्ता सरकार ने अपने पहले बजट में दिल्ली की सभी महिला को हर महीने 25 सौ रुपए की पेंशन देने के लिए 51 सौ करोड़ रुपए की राशि का प्रबंध किया था। इतना ही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही यह ऐलान किया था कि उनकी सरकार मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में इस बारे में प्रस्ताव पारित कर उसे लागू करेगा। लेकिन अभी तक यह नहीं पता है कि महिला सम्मान कि यह योजना कब से शुरू होगी और कितनी महिलाओं को मिलेगी।
इसी प्रकार से रेखा गुप्ता ने युवतियों के लिए सखी निवास छात्रावास बनाने की योजना का ऐलान भी किया था। जिसके बारे! में दिल्ली सरकार के अधिकारियों का खुद मानना है कि इसे अमली जामा पहनाना आसान नहीं है क्योंकि भूमि दिल्ली सरकार के अधीन नहीं है।
सरकार की विफलता की बात करें तो यह समय उचित नहीं है। हम रेखा गुप्ता सरकार को सौ दिन पूरे करने पर बधाई देने के साथ ही उनकी कामयाबी की कामना करते हैं।